by Prateeksha Pandey
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(गुरुवार की बाज़ार में
काले लिबास में घूम रही सैकड़ों औरतों के बीच
फ़र्क जान पाना नामुमकिन है
अगर तुम न हो
चूड़ीवाला,
दर्ज़ी,
क्लिप, कंघी, बालों के फ़ीते, नेलपॉलिश
या फिर सुई, धागे, बटन, चमकीले गोटे बेचने वाला)
क्या तुम मुझे
परदे से छन के आ रही आवाज़ में बताओगी
की जून की जलती दुपहरियों में
कभी सादी, उदास
तो कभी महँगी कारीगरी वाली
रातें ओढ़कर
कैसा लगता है?
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featured: by Soumya Raj
end image: The Indian Express (Archives)